A Review Of bhairav kavach

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नैॠत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे ।

पूर्वस्यामसितांगो मां दिशि रक्षतु सर्वदा

जो प्रतिदिन इस बटुक भैरव कवच का अभ्यास करता है, उसे यक्षिणी, अप्सरा और विभिन्न देवी साधनाओं में सफलता मिलती है

पूर्वस्यामसितांगो मां दिशि रक्षतु सर्वदा । 

देवदानवगन्धर्वकिन्नरपरिसेवितम् ॥ ४॥

ಸಂಹಾರಭೈರವಃ ಪಾತು ದಿಶ್ಯೈಶಾನ್ಯಾಂ ಮಹೇಶ್ವರಃ

।। इति बटुक भैरव तन्त्रोक्तं भैरवकवचम् ।।

भुर्जे रंभात्वचि वापि लिखित्वा विधिवत्प्भो। ।

एतत् कवचमीशान तव स्नेहात् प्रकाशितम्

यः पठेच्छृणुयान्नित्यं धारयेत्कवचोत्तमम् ॥ २२॥

ನಾಖ್ಯೇಯಂ ನರಲೋಕೇಷು ಸಾರಭೂತಂ ಚ ಸುಶ್ರಿಯಮ್





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